शनिवार, 26 जून 2010

कुन्डली की वैज्ञानिक व्याख्या

जो कुन्डली हम किसी भी सोफ़्टवेयर से कम्प्यूटर पर देखते है,वह हमारे जन्म समय का आसमानी नक्शा होता है.जो ग्रह इस कुन्डली मे जिस स्थान पर विराजमान होता है,वही हाल पैदा होने वाले जातक का होता है.जब जातक जन्म लेता है,उस समय की प्रकृति किस प्रकार से अपने अन्दर गुण दोष आदि लेकर जन्म स्थान पर उपस्थित होती है,इसका पूरा विवेचन ग्रहों के अनुसार ही मिलता है.शरीर और ब्रहमाण्ड का एक रूप समझ कर ही कुन्डली की व्याख्या की जाती है,प्रकृति के गुण और दोष यद ब्रह्माण्डे तत्पिण्डे के अनुसार ही समझे जा सकते हैं.कुन्डली को कितने ही रूपों मे बनाया जाता है,उत्तरी भारत की बनाई जाने वाली कुन्डलियों मे लगन को ऊपर से तथा बायी तरफ़ के लिये गणना इसलिये की जाती है कि पृथ्वी की गति बायीं तरफ़ ही है,इसी लिये सूर्य हमे दाहिने तरफ़ को जाता हुआ महसूस होता है.दक्षिणी भारत की कुन्डली को दाहिनी तरफ़ गिना जाता है,इसका कारण वे लोग सूर्य को महत्वपूर्ण मानकर अपने को सूर्य के या चन्द्र के अथवा अन्य ग्रह के अनुसार ग्रह के साथ लेकर चलते है.पाश्चात्य कुन्डलियों मे भी उत्तरी भारत की तरह से पृथ्वी को ही रूप मानकर बायीं तरफ़ ही चलाया जाता है,मगर पहला घर उत्तरी भारत की कुन्डली के चौथे स्थान से और माता के पेट से ही गर्भ समय से गिना जाने के कारण,वह लगन को बायीं तरफ़ से ही मानते हैं.लगन का मतलब होता है जो राशि पूर्व मे उदय होती है,लगन कहा जाता है,सभी राशियां पूर्व दिशा से ही उदय होती है.प्रत्येक राशि का अलग नाम है,और जो बारह राशियां है,उनके नाम,मेष,वृष,मिथुन,कर्क,सिंह,कन्या,तुला,वृश्चिक,धनु,मकर,कुम्भ,मीन हैं,मगर इनके कुन्डली मे नाम न लिख कर केवल एक से लेकर बारह तक के नम्बर ही लिख देते हैं,जैसे मेष के लिये १,और वृष के लिये २,मिथुन के लिये ३,कर्क के लिये ४,सिंह के लिये ५ इसी प्रकार क्रम से सभी राशियों के नम्बर कुन्डली मे लिख देते है.जो राशी पूर्व मे जन्म के समय उदय होती है,उसी राशि का नम्बर लगन मे लिख देते है.इस प्रकार से मैने उत्तरभारतीय पद्धति से कुन्डली के प्रति समझाने के उद्देश्य से नम्बर को दाहिने से बायीं तरफ़ ले जाने का क्रम अंकित किया है.हमारे पूरवजों ने जो कुछ पहले से अनुसन्धान किया है,खोज की है,उसके अनुसार उनको ग्रहों के स्वरूप का ज्ञान था,सम्सार की कोई भी वस्तु हो,चाहे वह शरीर से अपना सम्बन्ध रखती हो,चाहे वह प्रकृति के पदार्थों से,मन से आत्मा से,बुद्धि से राज्य से,उसका कोई न कोई प्रतिनिधि कोई न कोई ग्रह जरूर होता है,जैसे सूर्य से विचार करने के लिये पिता,आत्मा,आंख,हड्डी,आत्मा,राज्य,दिल आदि का विचार किया जाता है,चन्द्र से माता,रक्त,मन,कामनायें,फ़ेफ़डे,आदि का विचार किया जाता है,मंगल से छोटा भाई,हिम्मत,रक्षा,चोरी,जुल्म,पाप,चोट,मांस आदि का विचार किया जाता है,खाल,सांस की नली,बुद्धि,अन्तडिया,लिखना,पढना प्राप्त की जाने वाली जानकारी से अपना वास्ता बुध ग्रह रखता है,इसी प्रकार से सभी ग्रहों का बोध और उनसे मिलने वाली आर्थिक सहायता का विचार किया जाता है.

बुधवार, 23 जून 2010

सूर्य की शान्ति के उपाय

नक्षत्रों से बनने वाले अशुभ योगों में जन्म लेने या फिर नक्षत्रों का अशुभ प्रभाव दूर करने के लिये नक्षत्रों की शान्ति के उपाय किये जाते है. जब किसी का जन्म गण्डमूळ, गण्डान्त, अभुक्तमूल आदि में जन्म लेने पर शान्तिविधान कराने चाहिए . कुण्ड्ली में रह पीडा होने पर गोचर का जो ग्रह व्यक्ति को पीडा दे रहा हों तो निम्न प्रकार से ग्रहों की शान्ति के उपाय किये जाते है.
सूर्य इस उपाय को करने के लिये प्रात: उठ कर नित्यकर्म करने के बाद स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है. इसके बाद सूर्य से संबन्धित वस्तुओं का दान, जप, होम मन्त्र धारण व सूर्य की वस्तुओं से जल स्नान करना भी सूर्य के उपायों में आता है . सूर्य की शान्ति करने के लिये इन पांच विधियों में से किसी भी एक विधि का प्रयोग किया जा सकता है. गोचर में सूर्य के अनिष्ट प्रभाव को दूर करने में ये उपाय विशेष रुप से उपयोगी हो सकते है।

1स्नान द्वारा उपाय :जब गोचर में सूर्य अनिष्ट कारक हों तो व्यक्ति को स्नान करते समय जल में खसखस या लाल फूल या केसर डाल कर स्नान करना शुभ रहता है. खसखस, लाल फूल या केसर ये सभी वस्तुएं सूर्य की कारक वस्तुएं है . तथा सूर्य के उपाय करने पर अन्य अनिष्टों से बचाव करने के साथ-साथ व्यक्ति में रोगों से लडने की शक्ति का विकास होता है.सूर्य के उपाय करने पर उसके पिता के स्वास्थय में सुधार की संभावनाओं को सहयोग प्राप्त होता है . सूर्य की वस्तुओं से स्नान करने पर सूर्य की वस्तुओं के गुण व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते है. तथा उसके शरीर में सूर्य के गुणों में वृ्द्धि करते है
2सूर्य की वस्तुओंसूर्य की वस्तुओं से स्नान करने के अतिरिक्त सूर्य की वस्तुओं का दान करने से भी सूर्य के अनिष्ट से बचा जा सकता है. सूर्य की दान देने वाली वस्तुओं में तांबा, गुड, गेहूं, मसूर दाल दान की जा सकती है यह दान प्रत्येक रविवार या सूर्य संक्रान्ति के दिन किया जा सकता है. सूर्य ग्रहण के दिन भी सूर्य की वस्तुओं का दान करना लाभकारी रहता है.इस उपाय के अन्तर्गत सभी वस्तुओं का एक साथ भी दान किया जा सकता है. दान करते समय वस्तुओं का वजन अपने सामर्थय के अनुसार लिया जा सकता है. दान की जाने वाली वस्तुओं को व्यक्ति अपने संचित धन से दान करें तो अच्छा रहता है. जिसके लिये दान किया जा रहा है. उसकी आयु कम होने या अन्य किसी कारण से अगर वह स्वयं वस्तु नहीं ले सकता है.तो उसके परिवार को कोई निकट व्यक्ति भी उसकी ओर से यह दान कर सकता है. दान करते समय व्यक्ति में सूर्य भगवान पर पूरी श्रद्धा व विश्वास होना चाहिए. आस्था में कमी होने पर किसी भी उपाय के पूर्ण शुभ फल प्राप्त नहीं होते है
3. मन्त्र जाप सूर्य के उपायों में मन्त्र जाप भी किया जा सकता है. सूर्य के मन्त्रों में "ऊँ घृ्णि: सूर्य आदित्य: " मन्त्र का जाप किया जा सकता है. इस मन्त्र का जाप प्रतिदिन भी किया जा सकता है तथा प्रत्येक रविवार के दिन यह जाप करना विशेष रुप से शुभ फल देता है. प्रतिदिन जाप करने पर मंत्रों की संख्या 10, 20, या 108 हो सकती है. मंत्रों की संख्या को बढाया भी जा सकता है. तथा सूर्य से संबन्धित अन्य कार्य जैसे:- हवन इत्यादि में भी इसी मंत्र का जाप करना अनुकुल रहता है . मन्त्र का जाप करते समय व्यक्ति को शुद्धता का पूरा ध्यान रखना चाहिए. मंत्र जाप की अवधि में व्यक्ति को जाप करते समय सूर्य देव का ध्यान करना चाहिए. मन्त्र जाप करते समय एकाग्रता बनाये रखनी चाहिए. तथा इसके मध्य में उठना हितकारी नहीं रहता है
. 4. सूर्य यन्त्र की स्थापनासूर्य यन्त्र की स्थापना करने के लिये सबसे पहले तांबे के पत्र पर या भोज पत्र पर विशेष परिस्थितियों में कागज पर ही सूर्य यन्त्र का निर्माण कराया जाता है. सूर्य यन्त्र में समान आकार के नौ खाने बनाये जाते है . इनमें निर्धारित संख्याएं लिखी जाती है. ऊपर की तीन खानों में 6,1,8 क्रमशा अलग- अलग खानों में होना चाहिए.मध्य के खानों में 7,5,3 संख्याएं लिखी जाती है. तथा अन्तिम लाईन के खानों में 2,9,4 लिखा जाता है. इस यन्त्र की संख्याओं की यह विशेषता है कि इनका सम किसी ओर से भी किया जाये उसका योगफल 15 ही आता है . संख्याओं को निश्चित खाने में ही लिखना चाहिए. तांबें के पत्र पर ये खाने बनवाकर इनमें संख्याएं लिखवा लेनी चाहिए. या फिर भोज पत्र या कागज पर लाल चन्दन, केसर, कस्तूरी से इन्हें स्वयं ही बना लेना चाहिए. अनार की कलम से इस यन्त्र के खाने बनाना उतम होता है . सभी ग्रहों के यन्त्र बनाने के लिये इन वस्तुओं व पदार्थों से लेखन किया जा सकता है.
5. सूर्य हवन कराना उपरोक्त जो सूर्य का मन्त्र दिया गया है. उसी मन्त्र को हवन में प्रयोग किया जा सकता है. हवन करने के लिये किसी जानकार पण्डित की सहायता ली जा सकती है

. 6. विश्लेषण सूर्य कुण्डली में आरोग्य शक्ति व पिता के कारक ग्रह होते है . जब जन्म कुण्डली में सूर्य के दुष्प्रभाव प्राप्त हो रहे हों या फिर सूर्य राहू-केतू से पीडित हों तो सूर्य से संम्बधित उपाय करना लाभकारी रहता है. विशेष कर ये उपाय सूर्य गोचर में जब शुभ फल न दे रहा हों तो इनमें से कोई भी उपाय किया जा सकता है.इसके अलावा जब सूर्य गोचर में छठे घर के स्वामी या सांतवें घर के स्वामी पर अपनी दृ्ष्टी डाल उसे पीडित कर रहा हों तब भी इनके उपाय करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी होती है.

टोने-टोटके - कुछ उपाय –

छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत्‌
जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय
स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत्‌ जानकारी दी जा रही है...

परीक्षा में सफलता हेतु : परीक्षा में सफलता हेतु गणेश रुद्राक्ष धारण करें। बुधवार को गणेश जी के मंदिर में जाकर दर्शन करें और मूंग के लड्डुओं का भोग लगाकर सफलता की प्रार्थना करें। पदोन्नति हेतु : शुक्ल पक्ष के सोमवार को सिद्ध योग में तीन गोमती चक्र चांदी के तार में एक साथ बांधें और उन्हें हर समय अपने साथ रखें, पदोन्नति के साथ-साथ व्यवसाय में भी लाभ होगा। मुकदमे में विजय हेतु : पांच गोमती चक्र जेब में रखकर कोर्ट में जाया करें, मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होगा। पढ़ाई में एकाग्रता हेतु : शुक्ल पक्ष के पहले रविवार को इमली के २२ पत्ते ले आएं और उनमें से ११ पत्ते सूर्य देव को ¬ सूर्याय नमः कहते हुए अर्पित करें। शेष ११ पत्तों को अपनी किताबों में रख लें, पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी। कार्य में सफलता के लिए : अमावस्या के दिन पीले कपड़े का त्रिकोना झंडा बना कर विष्णु भगवान के मंदिर के ऊपर लगवा दें, कार्य सिद्ध होगा। व्यवसाय बाधा से मुक्ति हेतु : यदि कारोबार में हानि हो रही हो अथवा ग्राहकों का आना कम हो गया हो, तो समझें कि किसी ने आपके कारोबार को बांध दिया है। इस बाधा से मुक्ति के लिए दुकान या कारखाने के पूजन स्थल में शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को अमृत सिद्ध या सिद्ध योग में श्री धनदा यंत्र स्थापित करें। फिर नियमित रूप से केवल धूप देकर उनके दर्शन करें, कारोबार में लाभ होने लगेगा। गृह कलह से मुक्ति हेतु : परिवार में पैसे की वजह से कलह रहता हो, तो दक्षिणावर्ती शंख में पांच कौड़ियां रखकर उसे चावल से भरी चांदी की कटोरी पर घर में स्थापित करें। यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को या दीपावली के अवसर पर करें, लाभ अवश्य होगा। क्रोध पर नियंत्रण हेतु : यदि घर के किसी व्यक्ति को बात-बात पर गुस्सा आता हो, तो दक्षिणावर्ती शंख को साफ कर उसमें जल भरकर उसे पिला दें। मकान खाली कराने हेतु : शनिवार की शाम को भोजपत्र पर लाल चंदन से किरायेदार का नाम लिखकर शहद में डुबो दें। संभव हो, तो यह क्रिया शनिश्चरी अमावस्या को करें। कुछ ही दिनों में किरायेदार घर खाली कर देगा। ध्यान रहे, यह क्रिया करते समय कोई टोके नहीं। बिक्री बढ़ाने हेतु : ग्यारह गोमती चक्र और तीन लघु नारियलों की यथाविधि पूजा कर उन्हें पीले वस्त्र में बांधकर बुधवार या शुक्रवार को अपने दरवाजे पर लटकाएं तथा हर पूर्णिमा को धूप दीप जलाएं। यह क्रिया निष्ठापूर्वक नियमित रूप से करें, ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी और बिक्री बढ़ेगी।

वास्तु में दिशाओं की अहमियत पहचानें

वास्तु शास्त्र की अहमियत अब अंजानी नहीं रह गई है। अधिकांश लोग मान चुके हैं कि मकान की बनावट, उसमें रखी जाने वाली चीजें और उन्हें रखने का तरीका जीवन को प्रभावित करता है। ऐसे में, वास्तु शास्त्र की बारीकियों को समझना आवश्यक है। इन बारीकियों में सबसे अहम है-दिशाएं। वास्तु के अनुसार दिशाओं का भी भवन निर्माण मे उतना ही महत्व है, जितना कि पंच तत्वों का है। दिशाएं कौन-कौन सी हैं और उनके स्वामी कौन-कौन से हैं और वो किस तरह जीव को प्रभावित कर सकती हैं-ये समझना जरुरी है।वास्तु विज्ञान शास्त्रों के अनुसार चार दिशाओं के अतिरिक्त चार उपदिशाएं या विदिशाएं भी होती हैं। ये चार दिशाएं हैं- ईशान, आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य। समरागण सूत्र में दिशाओं व विदिशाओं का उल्लेख इस प्रकार किया गया है।
1.पूर्वः- पूर्व दिशा का स्वामी इन्द्र हैं और इसे सूर्य का निवास स्थान भी माना जाता है। इस दिशा को पितृ स्थान माना जाता है अतः इस दिशा को खुला व स्वच्छ रखा जाना चाहिए। इस दिशा मे कोई रूकावट नहीं होनी चाहिए। यह दिशा वंश वृद्धि मे भी सहायक होती है। यह दिशा अगर दूषित होगी तो व्यक्ति के मान सम्मान को हानि मिलती है व पितृ दोष लगता है। प्रयास करें कि इस दिशा मे टॉयलेट न हो वरना धन व संतान की हानि का भय रहता है। पूर्व दिशा में बनी चारदीवारी पश्चिम दिशा की चार दीवारी से ऊंची नहीं होनी चाहिए। इससे भी संतान हानि का भय रहता है।
2.पश्चिमः- जब सूर्य अस्तांचल की ओर होता है तो वह दिशा पश्चिम कहलाती है। इस दिशा का स्वामी श्वरूणश् है। यह दिशा वायु तत्व को प्रभावित करती है और वायु चंचल होती है। अतः यह दिशा चंचलता प्रदान करती है। यदि भवन का दरवाजा पश्चिम मुखी है तो वहां रहने वाले प्राणियों का मन चंचल होगा। पश्चिम दिशा सफलता यश, भव्यता और कीर्ति प्रदान करती है। पश्चिम दिशा का स्वामी वरूण है। इसका प्रतिनिधि ग्रह शनि है। ऐसे में गृह का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा वाला हो तो वो गलत है। इस कारण ग्रह स्वामी की आमदनी ठीक नहीं होगी और उसे गुप्तांग की बीमारी हो सकती है।
3.उत्तरः- उत्तर दिशा का स्वामी कुबेर है और यह दिशा जल तत्व को प्रभावित करती है। भवन निर्माण करते समय इस दिशा को खुला छोड़ देना चाहिए। अगर इस दिशा में निर्माण करना जरूरी हो तो इस दिशा का निर्माण अन्य दिशाओं की अपेक्षा थोड़ा नीचा होना चाहिए। यह दिशा सुख सम्पति, धन धान्य एवं जीवन मे सभी सुखों को प्रदान करती है। उत्तर मुखी भवन इसकी दिशा का ग्रह बुध है। उत्तरी हिस्से में खाली जगह न हो। अहाते की सीमा के साथ सटकर और मकान हों और दक्षिण दिशा मे जगह खाली हो तो वह भवन दूसरों की सम्पति बन सकता है।
4.दक्षिणः- आम तौर पर दक्षिण दिशा को अच्छा नहीं मानते क्योंकि दक्षिण दिशा को यम का स्थान माना जाता है और यम मृत्यु के देवता है अतः आम लोग इसे मृत्यु तुल्य दिशा मानते है। परन्तु यह दिशा बहुत ही सौभाग्यशाली है। यह धैर्य व स्थिरता की प्रतीक है। यह दिशा हर प्रकार की बुराइयों को नष्ट करती है। भवन निर्माण करते समय पहले दक्षिण भाग को कवर करना चाहिए और इस दिशा को सर्वप्रथम पूरा बन्द रखना चाहिए। यहां पर भारी समान व भवन निर्माण साम्रगी को रखना चाहिए। यह दिशा अगर दूषित या खुली होगी तो शत्रु भय का रोग प्रदान करने वाले होगी।
5.ईशानः- पूर्व दिशा व उत्तर दिशा के मध्य भाग को ईशान दिशा कहा जाता है। ईशान दिशा को देवताओं का स्थान भी कहा जाता है। इसीलिए हिन्दू मान्यता के अनुसार कोई शुभ कार्य किया जाता है तो घट स्थापना ईशान दिशा की ओर की जाती है। सूर्योदय की पहली किरणें भवन के जिस भाग पर पड़े, उसे ईशान दिशा कहा जाता है। यह दिशा विवेक, धैर्य, ज्ञान, बुद्धि आदि प्रदान करती है। भवन मे इस दिशा को पूरी तरह शुद्ध व पवित्र रखा जाना चाहिए। यदि यह दिशा दूषित होगी तो भवन मे प्रायः कलह व विभिन्न कष्टों के साथ व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट होती है। इस दिशा का स्वामी रूद्र यानि भगवान शिव है और प्रतिनिधि ग्रह बृहस्पति है।
6.आग्नेयः- पूर्व दिशा व दक्षिण दिशा को मिलाने वाले कोण को अग्नेय कोण संज्ञा दी जाती है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है इस कोण को अग्नि तत्व का प्रभुत्व माना गया है और इसका सीधा सम्बन्ध स्वास्थ्य के साथ है। यह दिशा दूषित रहेगी तो घर का कोई न कोई सदस्य बीमार रहेगा। इस दिशा के दोषपूर्ण रहने से व्यक्ति क्रोधित स्वभाव वाला व चिड़चिड़ा होगा। यदि भवन का यह कोण बढ़ा हुआ है तो संतान को कष्टप्रद होकर राजभय आदि देता है। इस दिशा के स्वामी गणेश हैं और प्रतिनिधि ग्रह शुक्र है। यदि आग्नेय ब्लॉक की पूर्वी दिशा मे सड़क सीधे उत्तर की ओर न बढ़कर घर के पास ही समाप्त हो जाए तो वह घर पराधीन हो सकता है।

सर्व-कार्य-कारी सिद्ध मन्त्र

१॰ “ॐ पीर बजरङ्गी, राम-लक्ष्मण के सङ्गी, जहाँ-जहाँ जाए, फतह के डङ्के बजाए, दुहाई माता अञ्जनि की आन।”२॰ “ॐ नमो महा-शाबरी शक्ति, मम अनिष्ट निवारय-निवारय। मम कार्य-सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा।”
विधिः- यदि कोई विशेष कार्य करवाना हो अथवा किसी से अपना काम बनवाना हो तो कार्य प्रारम्भ करने के पूर्व अथवा व्यक्ति-विशेष के पास जाते समय उक्त दो मन्त्रों में से किसी भी मन्त्र का जप करता हुआ जाए। कार्य में सिद्धि होगी।

चन्द्र की युति और उसका फल

चन्द्र की युति और उसका फल
नवग्रहों में चन्द्र को रानी का दर्जा प्राप्त है. सूर्य के समान इसकी भी एक राशि है कर्क राशि जो जल तत्व की राशि होती है. इसे मन और चंचलता का कारक माना जाता है. जहां तक इसकी प्रकृति की बात यह है तो यह शांत व सौम्य ग्रह होता है. इसका रंग सफेद होता है. चन्द्रमा जब कुण्डली में किसी अन्य ग्रह के साथ युति सम्बन्ध बनाता है तो कुछ ग्रहों के साथ इसके परिणाम शुभ फलदायी होते हैं तो कुछ ग्रहों के साथ इसकी शुभता में कमी आती है. आपकी कुण्डली में चन्द्रमा किसी ग्रह के साथ युति बनाकर बैठा है तो इसके परिणामों को आप इस प्रकार देख सकते हैं.
चन्द्र व सूर्य की युति अगर आपकी कुण्डली में चन्द्र के साथ सूर्य विराजमान है तो आप कुटनीतिज्ञ होंगे. इस युति के प्रभाव के कारण आपकी वाणी में नम्रता व कोमलता की कमी हो सकती है तथा आप अभिमानी हो सकते हैं जिससे लोगों के प्रति आपका व्यवहार रूखा हो सकता है. इन स्थितियों में सुधार के लिए आपको चन्द्र के उपाय करने चाहिए.
चन्द्र व मंगल की युति कुण्डली में मंगल के साथ चन्द्र का स्थित होना यह संकेत देता है कि परिणाम की चिंता किए बगैर आप अपने कार्य में जुट जाते हैं जो कभी-कभी आपके लिए परेशानियों का भी कारण बन जाता है. आपकी कुण्डली में चन्द्र मंगल की युति है तो वाणी पर नियंत्रण रखना आपके लिए बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि, बोल चाल में आप आक्रोशित होकर ऐसा कुछ बोल सकते हैं जिनसे लोग आपसे नाराज़ हो सकते हैं.
चन्द्र व बुध की युतिचन्द्र के साथ बुध की युति शुभ फल देने वाली होती है. अगर आपकी कुण्डली में इन दोनों ग्रहों की युति बन रही है तो आप कूटनीतिज्ञ हो सकते हैं. अपनी वाणी से लोगों को आसानी से लोगों का दिल जितना आपको अच्छी तरह आता जिससे व्यावसायिक क्षेत्रों में आपको अच्छी सफलता मिलती है.
चन्द्र व गुरू की युति कुण्डली में चन्द्र के साथ गुरू की युति होना यह बताता है कि आप ज्ञानी होंगे. आपको शिक्षक एवं सलाहकार के रूप में अच्छी सफलता मिलेगी. लेकिन, आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि मन में अभिमान की भावना नहीं आये. इसके अलावा आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि बिना मांगे किसी को सलाह न दें क्योंकि बिना मांगे दी गई सलाह के कारण लोग आपसे दूरियां बनाने की कोशिश करेंगे.
चन्द्र व शुक्र की युति ज्योतिषशास्त्र की मान्यता है कि जिस व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्रमा शुक्र के साथ युति सम्बन्ध बनाता है वह सौन्दर्य प्रिय होते हैं. अगर आपकी कुण्डली में भी इन दोनों ग्रहों का युति सम्बन्ध बन रहा है तो हो सकता है कि आप अधिक सफाई पसंद व्यक्ति होंगे. कला के क्षेत्रों से आपका लगाव रहेगा. आप लेखन में भी रूचि ले सकते हैं. अत: अलस्य से दूर रहना चाहिए. दिखावे की प्रवृति से भी आपको बचना चाहिए. सुखों की चाहतों के कारण आप थोड़े आलसी हो सकते हैं
चन्द्र व शनि की युति चन्द्रमा के साथ बैठा शनि यह दर्शाता है कि व्यक्ति ईमानदार, न्यायप्रिय एवं मेहनती है. अगर आपकी कुण्डली में चन्द्र व शनि की यह स्थिति बन रही है तो आप भी परिश्रमी होंगे और मेहनत के दम पर जीवन में कामयाबी की तरफ अग्रसर होंगे. न्यायप्रियता के कारण अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाने से पीछे नहीं हटेंगे. इस युति के प्रभाव के कारण कभी-कभी आप निराशावादी हो सकते हैं जिससे मन दु:खी हो सकता है अत: आशावादी बने रहना चाहिए.
चन्द्र व राहु की युति इन दोनों ग्रहों की युति कुण्डली में होने पर व्यक्ति रहस्यमयी विद्याओं में रूचि रखते हैं. अगर आपकी कुण्डली में यह युति बन रही है तो शिक्षा प्राप्त कर आप वैज्ञानिक बन सकते हैं. शोध कार्यों में भी आपको अच्छी सफलता मिल सकती है.
चन्द्र व केतु की युति कुण्डली में चन्द्र के साथ केतु की युति होने पर व्यक्ति को समझ पाना कठिन होता है क्योंकि ऐसा व्यक्ति कब क्या कर बैठे यह समझना मुश्किल होता है. अगर आपकी कुण्डली में यह युति बन रही है तो आपके लिए उचित होगा किसी भी कार्य को करने से पूर्व उस पर अच्छी तरह विचार करलें अन्यथा अपने कार्यों के कारण आपका मन दु:खी हो सकता है. वैसे, आपमें अच्छी बात यह है कि अपनी ग़लतियों से सबक लेंगे और अपने आस-पास की बुराईयों को दूर करने की कोशिश करेंगे.
एक और चोट दिल्ली में रहने वाले आम आदमी पर. अब मार पड़ी cng को लेकर . सीधा २५ प्रतिशत की वृद्धि . आखिर सरकार चाहती क्या है समझ से परे है . जिस तरह का हाहाकार देश में मचा है शायद हमारे हुक्मरान उस पर ध्यान नहीं देना चाहते . पहले बजट में पेट्रोल और डीजल के दाम बड़ा दिए गए उसके बाद डीजल पर वेट लगा कर उसे और महंगा किया उसके बाद रसोई गैस के दाम मे बढोतरी फिर लगा cng का नंबर .अभी सांस भी नहीं आ पाई थी की रसोई गैस के दाम में फिर से २५ रूपये की वृद्धि और उसके बाद फिर से पेट्रोल और डीजल के दाम बदने की तेयारी शुरू हो गयी. सबकी साँसे फूली हुई है की अब अगला कदम इस सरकार का क्या होगा . एक ओर तो सरकार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने का दावा कर रही हैं और वहीं दूसरी ओर पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के दाम बढ़ाए जाने की तैयारी की जा रही है। ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी होने से महंगाई और ज्यादा बढ़ेगी क्योंकि की वस्तुओं के परिवहन खर्च में बढ़ोतरी हो जाएगी। अब शायद सब मजबूर है चुनकर भेजा है तो झेलना ही पड़ेगा . शायद कांग्रेस पार्टी को अब ये लगने लगा है की वो जो भी कदम उठाएंगे कोई उसका विरोध नहीं करेगा . एक निरंकुश शासन की इससे बड़ी मिसाल क्या हो सकती है . जहां जब क़ानून व्यवस्था की बात हो तो सूबे की मुख्यमंत्री का बयान आता है की महिलाए रात के समय घर से बाहर ही न निकले . बिजली की दरे बढाने के पीछे तर्क दिया जाता है की अब दिल्ली वालो की कमाई बढ गयी है सो दाम बढाये जा सकते है.जबकी दिल्ली में बिजली की कीमतों का निर्धारण दिल्ली सरकार का मामला ही नहीं है. यह काम है DERC का जो की दिल्ली सरकार के आधीन नहीं है.तो फिर क्या बात है कि शीला दीक्षित बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिये इतनी मेहनत कर रही हैं वोह तो भगवान् भला करे रेगुलारिटी बोर्ड का जिसने निजी बिजली कंपनियों की पोल खोल के रख दी पिछले साल दिल्ली की दो निजी बिजली कंपनियों ने कितना मुनाफा कमाया? पहली ने करीब 450 करोड़ रुपये, और दूसरे ने करीब 468 करोड़ रुपये. सो शीला सरकार को कदम वापिस खीचना पड़ा
राष्ट्रकुल खेलो के नाम पर दिल्ली के रहने वालो का जो हाल बनाया जा रहा है शायद उसकी मिसाल दूसरी न बने . अभी हाल ही में सरकार ने प्रस्ताव रखा की विदेशी खिलाडियों को रेडियशन से बचने के लिए एक महीने के लिए मोबाइल टावरो को सील कर दिया जाए. वाह भाई शीला जी कमाल का फैसला है आपका . इतने सालो से दिल्ली में रह रहे लोगो की सेहत का ख़याल आपको कभी नहीं आया . और जरा ये तो बताने का कष्ट करे की जो खिलाडी यहाँ आ रहे है उनके देश मे मोबाइल फ़ोन नहीं होते क्या ? और अपने पिछले कार्यकालों मे शीला जी ने दिल्ली वालो की सेहत या उन्हें प्रदुषण से बचाने के लिए कितने ठोस कदम उठाये ? शायद नहीं दिल्ली वालो की सेहत दिल्ली वाले अपने आप संभाले ये कोई सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. दिल्ली के बाज़ार एक महीने के लिए इसलिए बंद करने का विचार है क्योकि बाहर के लोग यहाँ की भीड़ न देखे . पर एक महीने तक जो दिहाड़ी मजदूर खाली होगा या इन बाजारों मे काम करने वाले खाली रहेंगे उसका क्या . लेकिन सरकार के पास इन बेकार बातो का कोई जवाब नहीं है . हमें तो बस विदेशी मेहमानों को खुश करना है . चाहे दिल्ली मे अपने लोग भूख से बेहाल हो या रोज किसी के हाथ लुट जाए . जब से दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियां शुरू हुई है, तब से यहां रहने वालौं लोगों पर महंगाई का पहाड टूट पडा है। केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट में महंगाई का जो चाबुक चलाया था, पीठ पर उसके जख्म अभी भर नहीं पाए थे कि दिल्ली सरकार ने उन्हें और गहरे तक कुरेद दिया।दाम बढ़ाने के मुद्दे पर शीला दीक्षित का कहना है की जब सुविधाए मिलती है तो टैक्स तो लगेगा ही.
महंगाई आम जनता के लिए परेशानी का सबब होती है, देश पर राज करने वाले उद्योगपतियों व उनके राज में सरकार चलाने वाले लोगों को इससे कोई फर्क नहींपड़ता। अगर पड़ता होता तो अब तक बयानबाजियों से ऊपर उठकर महंगाई को रोकने के वास्तविक उपाय किए जाते। महंगाई किस प्रकार दूर होगी, शायद ये विचार किसी के पास नहीं है अगर सरकार की यह हालत है तो विपक्ष भी इससे अलग नहींहै। उसे महंगाई के नाम पर केवल हंगामा मचाना आता है, सत्ता की कुर्सी थोड़ी हिले और उसे पैर जमाने के लिए जरा जगह और मिल जाए, बस इतना ही मकसद नजर आता है। महंगाई क्यों बढ़ रही है, इसका जवाब कहीं से भी नहीं मिल रहा है। यदि सरकार को महंगाई रोकनी है तो सट्टेबाजी, एकाधिकार, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बढ़ते नियंत्रण के विरुद्ध भी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक सक्रिय होना पड़ेगा और सशक्त कदम उठाने होंगे।